पुणे – विज्ञान प्रकृति के नियमों की खोज करता है और अध्यात्म मन के गहराई में उतरकर नई खोज करता है. इस नजरिए से देखा जाए तो विज्ञान और अध्यात्म के संगम से हम संपूर्ण विश्व की खोज कर सकते है. ऐसे विचार इस्त्रो के पूर्वाध्यक्ष पद्मविभूषण डॉ.जी.माधवन नायर ने प्रकट किए.
‘डॉ.विश्वनाथ कराड एमआइटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी’ की ओर से एमआइटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के मैदान स्थित स्वामी विवेकानंद सभामंडप में आयोजित ‘विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से विश्वशांति’ विषय के दो दिवसीय वैश्विक शिखर परिषद का उद्घाटन पद्मविभूषण जी. माधवन नायर के हाथों हुआ.
डॉ.जी.माधवन ने कहा कि आजादी के बाद भारत ने विज्ञान क्षेत्र में उंची छलांग लगाई है. अनुखोज और अंतरिक्ष विद्या क्षेत्र में हम अग्रणी है. यही स्थिति अन्य क्षेत्रों में भी है. शहरवासी विभिन्न सुविधाओं का लाभ उठाते है, लेकिन गांव और कस्बो में जल के लिए लोगों को कोसो दूर जाना पडता है. इस विरोधाभास को दूर करने के लिए हमे अध्यात्म को अपनाना होगा. हमारे बचपन में सप्ताह में एक दिन आस-पास के क्षेत्र तथा वहां के लोगों के जीवन का अवलोकन करने के लिए भेजते थे. इससे हमने अपने आप सामाजिक दायित्व निभाने की भावना निर्माण हुई. वर्तमान छात्र भी इस उपक्रम को चलाए. इससे उनका व्यक्तिमत्व निखरकर उभरेगा. हम सब एक ही देश के नागरिक है ऐसी भावना निर्माण होनी चाहिए.
डॉ.माइकेल नोबल ने कहा, विश्व में शांति नही होगी तो हम कैसे जी सकेंगेे. आनेवाली पीढी को विरासत में अच्छी दुनिया उपलब्ध कराना हमारा कर्तव्य है. अत्याधुनिक सूचना माध्यम से विश्व की समस्या छुडाने की बजाएं दुर्भाग्य से समस्या ही ज्यादा पैदा कर रहे है.