देवरानी को हुआ लड़का तो महिला ने अपनी 10 दिन की बच्ची को फेंका नदी में

August 17th, 2017 Posted In: Pune Express

Team TNV

गुणवंती परस्ते

पुणे – एक 26 वर्षीय महिला द्वारा अपनी दस दिन की बच्ची को नदी में फेंककर हत्या करने की सनसनी घटना पुणे में घटी. महिला की देवरानी को लड़का हुआ था, यह बात महिला को सहन नहीं हुई, इसलिए अपनी 10 दिन की बेटी को नदी में फेंककर, बेटी के अपहरण होने का झूठा बयान पुलिस को देना का षडयंत्र महिला ने रचा था. यह शर्मसार घटना पुणे के बोपखेल में मूठा नदी के पास घटी. महिला द्वारा बच्ची को जिंदा नदी में फेंकने की घटना बुधवार को पुणे में घटी थी, लेकिन पुलिस का और घरवालों का ध्यान भटकाने के लिए महिला ने बच्ची के अपहरण होने की झूठी अफवाह फैलाई थी, लेकिन पुलिस के चुंगल से महिला नहीं बच पायी, पुलिस की कड़ी पूछताछ के आगे महिला ने घुटने टेक दिए और अपना अपराध कबूल करते हुए अपनी बच्ची को नदी में फेंकने की बात स्वीकार की. यह मामला खड़की पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है.

रेश्मा रियासत शेख (उम्र 26) की यह चौथी औलाद थी, रेश्मा को पूरी आस थी कि उसे बेटा ही होगा, लेकिन बेटी होने के बाद वो काफी निराश हुई थी. रेश्मा की डिलीवरी के पांच दिन पहले ही उसकी देवरानी को लड़का हुआ था. इस बात से रेश्मा काफी खफा थी, मुझे ही हमेशा लड़की क्यों होती है. देवरानी को लड़का होने की बात से रेश्मा ने मन ही मन अपनी 10 दिन की बच्ची से छुटकारा पाने का मन बना लिया था. पैदा होने के बाद से बच्ची की तबीयत थोड़ी खराब रहा करती थी, बच्ची को जुलाब लगने की शिकायत थी. बच्ची का इलाज कराने के नाम से महिला पुणे के शिवाले हॉस्पिटल में घटना वाले दिन गई थी. उसके पति रियासत शेख ने महिला को बच्ची के साथ हॉस्पिटल में छोड़ा था, पति जो टेलरिंग का काम करता है, उसे दुकान में जाने के लिए देर हो रही थी, इसलिए महिला ने पति को दुकान में जाने को कहा था. पति के जाने के बाद महिला हॉस्पिटल के अंदर बच्ची और खुद का इलाज डॉक्टर से कराकर घर के लिए रवाना हो रही थी, अचानक महिला को अपनी बच्ची से छुटकारा पाने की सूझी और बच्ची को मूठा नदी में जाकर फेंक दिया.

अपहरण का झूठा षडयंत्र रचा
महिला ने बच्ची को नदी में फेंकने के बाद बोपोडी पुलिस चौकी में बच्ची की शिकायत दर्ज कराने गई थी. महिला ने अपने बयान में पुलिस को बताया था कि हॉस्पिटल से घर लौटते समय उसने एक रिक्शा की थी, रिक्शा में पहले से एक महिला बैठी हुई थी. घर के पास उतरने के लिए जब उसने रिक्शा रुकवाई तो रिक्शावाले को पैसे देने के लिए उसे अड़चन हो रही थी, तो उसने रिक्शा में बैठी महिला को बच्चा थामते हुए पर्स से पैसे निकालने के दौरान महिला और रिक्शावाले ने उसे रिक्शा से बाहर धकेल कर उसकी बच्ची को लेकर भाग गए थे. इस तरह का झूठा बयान पुलिस को दिया था. पर महिला का झूठ ज्यादा देर टिक नहीं पाया.

पुलिस को पहले से था महिला की गतिविधी पर शक
पुलिस को महिला की गतिविधी और उसके बार बार बयान बदलने पर पहले से शक था. पुलिस ने इस मामले में दस सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे, सीसीटीवी की मदद से पुलिस को इस केस को सुलझाने में काफी बड़ी कामयाबी हासिल हुई. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस को महिला पैदल आते हुए दिखाई दी, जिसमें वो किसी भी रिक्शा से उतरते हुए दिखाई नहीं दी और उसके हाथ में बच्चा भी नहीं दिखाई दिया था. पुलिस ने शिवाले हॉस्पिटल से लेकर रिक्शा स्टैंड के पास मौजूद सभी सीसीटीवी फुटेज की जांच की थी. महिला के मोबाइल लोकेशन भी ट्रेस किए थे. जिससे पुलिस को महिला की हरकत पर पूरी तरह शक हो गया था. पुलिस ने महिला से इस बारे में जब कड़ी पूछताछ की तो महिला ने अपना अपराध कबूल कर लिया. महिला को पहली लड़की है, उसके बाद महिला को दूसरा लड़का है, तीसरी भी लड़की हुई थी लेकिन निमोनिया की बीमारी के चलते लड़की की मौत हो चुकी थी. चौथे बच्चे में महिला को पूरी उम्मीद थी चौथा बच्चा लड़का होगा. लेकिन जब लड़की हुई तो महिला काफी निराश हो गई थी, क्योंकि उसकी देवरानी को पांच दिन पहले ही बेटा हुआ था और देवरानी के तरफ लोग ज्यादा ध्यान दे रहे थे जिसकी वजह से महिला को यह बात हजम नहीं हो रही थी. महिला को यह बात दिल ही दिल में खायी जा रही थी कि देवरानी का रूतबा उससे ज्यादा बढ़ गया है. इसलिए महिला ने ऐसा संघिन्न कदम उठाया. यह जानकारी पुणे पुलिस के युनिट 4 के डीसीपी (पुलिस उप आयुक्त) दीपक साकोरे ने दी.

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The author is a senior Journalist working in Goa for last one and half decade with the experience of covering wide-scale issues ranging from entertainment to politics and defense.

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