गुणवंती परस्ते
पुणे – पुणे में महाराष्ट्र बंद को लेकर काफी प्रतिसाद मिला. भीम सैनिकों द्वारा जगह जगह पर भीमा कोरेगांव की घटना का निषेध व्यक्त करते हुए आंदोलन किया गया. इस आंदोलन में सड़कों में रास्ता रोको आंदोलन करके गाड़ियों की आवाजाही भी रोकी गई, जिसकी वजह से कुछ देर के लिए ट्रैफिक जाम हो गया था. पुणे के हडपसर में विभिन्न आंबेडकरवादियों के कार्यकर्ताओं ने हडपसर पुलिस स्टेशन पर मोर्चा निकाला व सड़कों पर बैठकर आंदोलन किया. आंदोलनकारियों ने मिलिंद एकबोटे व भिडे गुरूजी को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की गई, साथ ही सरकार के खिलाफ जाहिर निषेध किया गया. इस घटना की जांच की मांग करते हुए, इस घटना से संबंधित दोषियों पर कठोर कारवाई करने की मांग की गई. इस घटना में अबतक 55 बसों की तोड़फोड़ की गई है.
सोलापुर रोड में दो पीएमपी बसों पर पथराव किया गया और भेकराईनगर में एक दुकान पर पथराव किया गया. पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंचकर परिस्थिती को कंट्रोल में किया. इस आंदोलन में भारी संख्या में भीमसैनिक शामिल हुए थे, रामटेकडी चौक में भी रामटेकडी स्थित आंबेडकरवादी कार्यकर्ताओं ने रास्ता रोको व मोर्चा निकालकर निषेध व्यक्त किया. पुणे के सभी छोटे बड़े बाजार बंद थे.
आंदोलन में शामिल हुए निलेश माईंणकर ने कहा कि भीमा कोरेगांव की घटना काफी निंदनीय थी, जिसका निषेध करने के लिए इस आंदोलन में शामिल हुआ हूं, भीमा कोरेगांव घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कारवाई करनी चाहिए.
सुजात आंबेडकर ने कहा कि महाराष्ट्र बंद के लिए हमने सबसे शांति से बंद करने की अपील की है. भीमाकोरेगांव की घटना में दो लोग की मौत हुई और कुछ लोग घायल हुए थे, इस घटना का निषेध करने के लिए हमने यह बंद किया है, पर हम इस बंद में किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं, शांति रुप से हम इस आंदोलन को कर रहे हैं. साथ ही हमारी मांग है कि भीमा कोरेगांव घटना के लिए जो जो संबंधित व्यक्ति मुख्य सूत्रधार हैं, उनपर कड़ी कारवाई होनी चाहिए.
जातिय निर्मूलन समिति की अध्यक्षा प्रतिमा परदेशी ने कहा कि भीमा कोरेगांव में स्मृति स्ंतभ में अभिवादन के दौरान सनातन प्रवृत्ति के लोगों द्वारा हमला किया गया, उसका मैं जाति मुक्ति आंदोलन की तरफ से तीव्र निषेध व्यक्त करती हूं. जातिय मुक्ती आंदोलन के नेता प्रकाश आंबेडकर द्वारा बंद करने का ऐलान किया था, महाराष्ट्र बंद महाराष्ट्र सरकार की लापरवाही और पुलिस ने इस घटना को लेकर जो सक्रियता नहीं दिखाई उसको लेकर यह बंद किया गया है. इस आंदोलन में भीमसैनिकों द्वारा कहीं भी तोड़फोड़ और जलाने की घटनाएं नहीं की गई है. हमने नीला झंडा लेकर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को अभिवादन किया और जयभीम का नारे देते हुए सनातन प्रवृत्ति के लोगों का निषेध किया है. इस घटना में जिसने तोड़फोड़ और जलाने की हरकतें की इससे साफ जाहिर होता है कि वे लोग जाति के मुद्दा को बढ़ाते हुए देश में अशांति फैलाना चाहते हैं और ब्राम्हण वर्चस्व स्थापित करना चाहते हैं, वो सभी लोग हिंसा के मार्ग से हैं, हम गौतम बुद्ध के मार्ग से शांति मार्ग से यह आंदोलन कर रहे हैं.