– आठवे भारतीय छात्र संसद के तिसरे सत्र में वेदप्रताप वैदिक ने कहा
पुणे – ईश्वर ने केवल मानव का निर्माण किया है, लेकिन मानव ने जाति का निर्माण करते हुए सबसे बडी गडबडी की है. वर्तमान दौर में राजनीतिज्ञों ने अपने लाभ के लिए इसका इस्तेमाल किया है. देश के विभिन्न क्षेत्रों में जाति को लेकर आरक्षण की मांग को उठाते हुए सडकों पर उतर रहे है. जातिनिहाय आरक्षण की मांग आज भारतीय समाज को लगी एक सबसे बडी बीमारी है. जिसे खत्म करने के लिए हमे मन से जातियवाद की विकृती को खत्म करना होगा. यह प्रतिपादन वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने रखे.
एमआइटी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट, एमआइटी वर्ल्ड पीस युनिवर्सिटी तथा भारतीय छात्र संसद फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में कोथरूड के एमआइटी कैम्पस में आयोजित आठवे भारतीय छात्र संसद के भारतीय लोकतंत्र-जातिवाद-समस्याएं और अवसर विषय के तिसरे सत्र में डॉ. वेदप्रताप वैदिक बोल रहे थे.
इस मौके पर निर्माता असित कुमार मोदी, तेलंगणा विधानसभा के अध्यक्ष के. स्वामी गौड, वृंदान, मथूरा के आचार्य पुंडरीक गोस्वामी, एमआइटी विश्वशांति विश्वविद्यालय के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ कराड, भारतीय छात्र संसद के संस्थापक व प्रमुख निमंत्रक एवं एमआइटी विश्वशांति विश्वविद्यालय के कार्याध्यक्ष प्रा. राहुल विश्वनाथ कराड, विद्यार्थी प्रतिनिधी रूद्राली पाटिल, तन्वी भसीन, पुलकित चंरूगू, आशिष कोठडिया, रोशन लतीफ शेख के साथ अन्य मान्यवर उपस्थित थे. विद्यार्थी प्रतिनिधी आलोक रंजन तिवारी, प्रिरांका मारवाह, ओंकार कुंवर, स्कंद बाजपेरी, प्रवीणकुमार जैसवाल सहित अन्य मान्यवर उपस्थित थे.
डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने कहा, राजनीतिज्ञ ब्रह्मास्त्र के रूप में जाति का इस्तेमाल कर रहे है. जिसके आधार पर सरकार बनती-बिघडती है. आरक्षण के नाम पर समाज को भडकाते हुए उनमें फूट डालते है. जिस पर रोक लगाना है तो अपने नाम के आगे जाति वाचक नाम को अलग करना होगा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जाति को हटाया था, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने २०१० में जातिअनुसार जनगणना की थी जो गलत है. डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने जातियवाद को विरोध दर्शाया था.
असित कुमार मोदी ने कहा, राजनीतिज्ञ लाभ के लिए जाति का इस्तेमाल करना गलत है. हाल ही में भीमा कोरे गाव में घटी घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसी घटनाओं को रोकना है तो सभी के मन में यह भावना होनी चाहिए की हम सभी भारतीय है. व्यक्ति का निर्माण जाति नही बल्कि कर्म के आधार पर निर्माण होता है. तारक मेहता सिरियल यानी मिनी भारत है. जहां सभी सुख से रहते है. उसी तरह देश के नागरिकों ने अपनी जाति तथा नाम को बाजू में रखना होगा.
आचार्य पुंडरीक गोस्वामी ने कहा, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र जैसी जाति रचना थी. वर्तमान दौर में इसमें बदलाव आया है, बावजूद वह भी एक समस्या बन चूकी है. ब्राह्मण वरिष्ठ या शुद्र वरिष्ठ ऐसा संघर्ष होने की बजाए सभी में एक समान की भावना निर्माण होनी चाहिए. आज स्कूल तथा मंदिरों सें जातियवाद को हटना चाहिए.
के.स्वामी गौड ने चर्चासत्र के विषय की प्रस्तावना रखी. पानी ताराम ने भी अपने विचार रखे. आलोक रंजन तिवारी, प्रियांका मारवाह, ओंकार कुंवर, स्कंद बाजपेयी, प्रविणकुमार जैस्वाल आदि छात्र प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे.
प्रा. गौतम बापट, नीलम शर्मा ने सूत्रसंचालन किया.