MAH: कोरेगांव भीमा दंगे ने किया जीवन अस्तव्यस्त, ससून हॉस्पिटल ने संभाली जीवन की बागडोर

February 1st, 2018 Posted In: Pune Express

Team TNV

गुणवंती परस्ते

पुणे – कोरेगांव भीमा दंगा को आज पूरा एक महीना होने जा रहा है, इस दंगे की आग में पूरा महाराष्ट्र झुलस गया था. जिसमें आम नागरिक की ज्यादा हालत खराब हुई थी. इस दंगे में गंभीर रुप से घायल हुए एक 23 वर्षीय युवक एक महीने से जीवन मृत्यु के चक्र से जूझ रहा था, पर उसकी जिंदगी को बचाने में पुणे के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल ससून जनरल हॉस्पिटल ने काफी अहम भूमिका निभायी है. जिसमें ससून हॉस्पिटल के डॉक्टरो, स्टॉफ और सोशल वर्कर का कार्य काफी सराहनीय रहा. पिछले एक महीने से 23 वर्षीय अमित भोंगडे ससून हॉस्पिटल में एडमिट है, इस दंगे के बाद भले ही हमारी दिनचर्या की पटरी लाइन पर आ गयी हो, लेकिन आज भी अमित भोंगडे का इलाज ससून हॉस्पिटल में चल रहा है.

अमित भोंगडे एक बहुत ही साधारण परिवार से है, वह मूलरुप से रहनेवाला यवतमाल का है. अमित जब छोटा था तभी उसके माता पिता का स्वर्गवास हो गया था, अमित भोंगडे के मामा मामी ने उसके पालन पोषण की जिम्मेदारी उठायी, अमित के मामा मामी यवतमाल में खेती करके अपना जीवन निर्वाह करते है. अमित भोंगडे हमेशा से पढ़ाई में अच्छा रहा, पढ़ लिखकर वो अपने पैरों में खड़ा होना चाहता था. अमित भोंगडे कोरेगांव भीमा में स्थित विजय स्तंभ का इतिहास हमेशा से सुनते आ रहा था, विजय शौर्य दिन को 200 साल पूरे होने के अवसर पर वो भी कोरेगांव भीमा जाने के लिए काफी उत्साहित था. अपने दोस्तों के साथ 1 जनवरी को कोरेगांव भीमा पहली बार आया था. अचानक कोरेगांव भीमा में दंगा भड़क गया और दो समुदाय के लोगों के बीच भिड़त शुरू हो गई थी. इस दंगे में पत्थरबाजी और गाड़ियों को जलाना और तोड़फोड़ की घटना घटी. अपनी जान बचाने के लिए सभी लोगों यहां-वहां छुपते छुपाते भाग रहे थे. दंगे करनेवाले हाथों में पत्थर लेकर हर किसी को निशाना बना रहे थे, इस निशाने का शिकार अमित भोंगडे भी हुआ. सिर पर काफी गहरी चोट लगने की वजह से अमित बेहोश हो गया था, दोस्तों की मदद से अमित को तुरंत वहीं पास के हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था. अमित की हालत काफी गंभीर देखते हुए ससून हॉस्पिटल में इलाज के लिए 1 जनवरी की रात 10.30 बजे के करीब लाया गया था. इस घटना में गंभीर रूप घायल होने की वजह से ससून हॉस्पिटल में अमित के एडमिट होने की खबर पूरे महाराष्ट्र में फैल चुकी थी, ऐसी अफवाह भी फैली थी कि इस घटना में अमित की मौत हो गई है, लेकिन इस परिस्थिती में ससून हॉस्पिटल ने काफी सामाजिक जिम्मेदारी की भूमिका को निभाते हुए इस अफवाह को झूठा करार दिया.

अमित भोंगडे के इलाज में हॉस्पिटल के डॉक्टर, अधिकारियों और स्टॉफ ने कोई कसर नहीं छोड़ी. ससून हॉस्पिटल ने अमित भोंगडे के इलाज के लिए हर मुमकिन कोशिश की. इस घटना के बाद से अमित भोंगडे 15 दिनों तक बेहोश ही था, उसे ससून हॉस्पिटल के आईसीयु में रखा गया था. सिर पर गंभीर चोट की वजह से अमित के सिर का तीन बार सर्जरी किया गया, 15 दिन बाद अमित द्वारा अपनी आंखें खोलने पर उसके मामा मामी के चेहरे पर खुशी के आंसू देखे गए थे. ससून हॉस्पिटल के डॉक्टर ने भी अमित के होश में आते ही राहत की सांस ली और इलाज के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ी थी. यह सब सुनने में आसान भले ही लगता हो लेकिन क्या इसके पीछे की आर्थिक अड़चनों की कहानी किसी को भी नहीं पता. अमित साधारण परिवार और मामा मामी खेती करनेवाले साधारण किसान हैं. इस इलाज में परिवारजनों को काफी महंगा खर्चा लगनेवाला था, लेकिन ससून हॉस्पिटल ने अमित के परिवार से एक भी पैसा इलाज के लिए नहीं लिया और इलाज की पूरी जिम्मदारी उठायी….यह जिम्मेदारी इतनी आसान नहीं थी, क्योंकि रोजाना ससून हॉस्पिटल में गरीब मरीज आते हैं उनके इलाज की सुविधा को देखते हुए अमित के इलाज की जिम्मेदारी भी हॉस्पिटल ने बखूबी से उठायी.

अमित भोंगडे के हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद से काफी लोग हॉस्पिटल में अमित की तबीयत का हालचाल पूछने आते थे. हॉस्पिटल के स्टॉफ ने इस समय काफी शांति और संयम से काम लिया. हॉस्पिटल में अमित को देखने आनेवाले लोगों को समझा बुझाकर वापस घर भेजा जाता था. कोरेगांव भीमा की घटना के बाद अमित भोंगडे के इलाज के लिए हॉस्पिटल के सोशल वर्करों ने भी काफी अहम भूमिका निभायी. अमित के इलाज के लिए आनेवाले खर्च का पूरा बंदोबस्त समय पर किया और हॉस्पिटल में झंडे लेकर खड़े लोगों से भी अपील की, अमित की जिंदगी बचाने के लिए उनकी मदद करें. सोशल वर्कर की बातों से सहमत होकर बहुत से लोगों ने अमित के इलाज के लिए सहयोग किया. अमित के मामा -मामा के रहने और खाने की पूरी व्यवस्था भी हॉस्पिटल ने ही की. आज अमित की तबीयत में धीरे धीरे सुधार हो रहा है.

इस दंगे में बीड के रहनेवाला नवनाथ उपाडे नामक 45 वर्षीय शख्स भी हुआ था. नवनाथ कोरेगांव भीमा में मजूदरी का काम करता था. दंगेवाले दिन भगदड़ की वजह से नवनाथ उपाडे भी अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा था, ऐसे में एक गाड़ी की टक्कर से नवनाथ उपाडे का एक्सीडेंट हो गया था. नवनाथ उपाडे को भी इलाज के लिए ससून हॉस्पिटल में लाया गया था. नवनाथ उपाडे भी एक महीने से ससून हॉस्पिटल में अपना इलाज करवा रहा था, पर उसके छोटे छोट तीन बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी हॉस्पिटल ने उठायी. उसके रिश्तेदार और बच्चों के रहने और खाने पीने की इंतजाम किया. दो दिन पहले ही नवनाथ उपाडे को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज दे दिया गया. कोरेगांव भीमा की घटना को एक महीना पूरा हो गया, लेकिन इस दंगे की चिंगारी का दर्द आज भी बहुत से लोग झेल रहे हैं.

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The author is a senior Journalist working in Goa for last one and half decade with the experience of covering wide-scale issues ranging from entertainment to politics and defense.

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