पुणे – आज देश का बजट पेश किया गया, लेकिन इस बजट से व्यापारी वर्ग नाखुश नजर आया. दि पूना मर्चंटस् चेंबर के अध्यक्ष ने बताया कि इस बार का आम बजट मध्यमवर्ग, गरीब व किसानों को ध्यान में रखकर पेश किए जाने का सिर्फ दिखावा है. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आज लोकसभा में 2018-19 का बजट पेश किया, जिसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पोपटलाल ओस्तवाल ने बताया कि टैक्स में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है, बल्कि एक प्रतिशत से अधिक टैक्स बढ़ा दिया गया है. जिससे वस्तूओं की कीमत कम होने की बजाय बढ़ने की संभावनाएं हैं. जीएसटी के तहत ब्रांडेड अनाज, मिर्च, धनिया, दालचीनी और हल्दी जैसी चीजों को छूट देना आवश्यक था. कृषि उत्पादन, चावल, दाल में किसी तरह की छूट नहीं दी गई है. ई वे बिल में 5 लाख रूपए तक की सीमा निश्चित की जाए, ऐसी मांग सभी व्यापारी संस्थाओं ने की थी. इस मांग को भी पूरा नहीं किया गया है.
विदेशी निवेश में 100 प्रतिशत अनुमति दिए जाने की वजह से व्यापार की स्पर्धा में स्थानिक व देशातर्गत व्यापारी कैसे टिक पाएगा. यह बहुत गंभीर विषय है, ज अलग ही रुख लेगा. व्यापारी वर्ग यह बजट के लिए एक अहम हिस्सा माना जाता है, पर सरकार ने व्यापारी वर्ग को ही नजरअंदाज किया है.
यह बजट चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत किया गया है. किसानों को उत्पादन लागत डेढ़ गुना देने का प्रावधान किया गया है. जो प्रत्यक्ष रुप से वस्तूपरिस्थिती के अनुसार अनुसरण नहीं करता है. 42 मेगाफूड्स सेंटर शुरू करने की योजना काफी अच्छी और स्वागत करने जैसी है. जिसकी वजह से कृषि उत्पादित फल, सब्जी आदि उत्पादन बेकार नहीं जाएगें, उनपर प्रक्रिया करके लंबे समय तक सुरक्षित रख सकेंगे. जिसका फायदा किसानों और उद्योजकों को हो सकता है. ऐसी प्रतिक्रिया दि पूना मर्चंटस् चेंबर के अध्यक्ष पोपटलाल ओस्तवाल ने व्यक्त किए.