पुणे –
महिलाये अपने परिवार के बारे में सबसे पहले सोचती है. इसके लिये वो चोबीस घंटे व ड्युटी काम करती रहती है. किसी भी चीज कि आशा न रखते हुए अपने परिवार का ध्यान रखणे का वो प्रयास करती है. हमेशा वो खुद्द कि ओर दुर्लक्ष करके बाकी लोगोंकी देखभाल करती है. परंतु ये सब काम करते समय खुद्द कि इच्छा का बली चढा देती है. मासिक धर्म चक्र, रजोनिवृत्ति, और यौन संबंध ऐसे विषयोंपर महिलाये कभी व्यक्त नही होती. महिलाओंमे होनेवाली इसी घुटन काम करने के लिये और उनको होनेवाला इस पीडा से मुक्ती दिलाने के लिये मेनोपॉज नाटक मदद करेगा. ऐसा, प्रतिपादन मेनोपॉज नाटक के लेखक व निदेशक प्रा.नितीनकुमार ने पत्रकार परिषद मे किया. इस निर्माता प्रा. रेखा नितीनकुमार, कलाकार उज्ज्वला गौड, राजेश्वरी राठी, जयश्री मंगेश, राधिका जाधव, सारिका कुलकर्णी, संपदा देवधर आदी उपस्थित थे.
नाटक के कहाणी के बारे में बताते समय प्रा. नितीनकुमार ने कहा,” लगभग ४०-४५ के वर्ष मे हर महिला को मेनोपॉज का सामना करना पडता है. परंतु इस समय महिलाओंको होनेवाले मानसिक ओर शारीरिक परेशानीओसे अनजान रहती है. इस विषयपर बात करना वो टाल देती है. डॉक्टर, सहेलीया इनसे भी वो खुले आम बात नही करती. ये परेशनीय सभी महिलाओंको होती है, ऐसा सोचकर वो चुपचाप सारी परेशानीया झेलती रहती है. महिलाओंके इसी घुटन को हाटाने के लिये हम सबको उनका समर्थन करना चाहिये. महिलाओने खुद्द के सपनो कि तरफ एक नायी उडान लेनी चाहिये. इसीलिये कादंबरी प्रोडक्शन कि मदद से इस नाटक के माध्यम से मेनोपॉज इस विषयपर जागरूकता निर्माण करने का प्रयास और महिलाओंके इस अबोल स्वभाव पर एक मिठी दवा लेकरं ये नाटक जल्द थिएटर मे लानेवाला हू.
मेनोपॉज मतलब महिलाओंका अस्तित्व हि खतम हो गया ऐसी महिलाओंकी धारणा है. परंतु इसके बाद भी एक सुन्दर जीवन होता है. मेनोपॉज के बाद जीवन का एक अलग पडाव होता है.
जीवन के इस पडाव पर हम फिर से नयी शुरुवात कर सकते है. महिलाओंके बहोत सारे सवाल होते है जिनपर खुले आम चर्चा नाही कि जाती. इस विषय व एक मंच मिलना चाहिये. काही तो महिलाओंको अपने सवाल रखणेके लिये एक अनुकूल परिस्थिती हमे निर्माण करनी चाहिये, महिलाये इस विषयपर खुले आम बात कर सके, खुद्द के स्वास्थ्य कि तरफ ध्यान देना चाहिये इस तऱहा के कई सारे सवालोंके जबाब इस नाटक के माध्यम से देणे का प्रयास किया है.
कर्तव्य और जिम्मेदारी के आज जाकर महिलाओने खुद्द को बदलाना चाहिये. परिवार के साथ खुद्द का भी ध्यान रखना चाहिये क्योंकी परिवार कि महिला सुखी रहेगी तभी पुरे परिवार मी सुख बनाये रहेगा, ऐसा कलाकारो ने बताया